5 Tips about shiv chalisa lyricsl You Can Use Today
5 Tips about shiv chalisa lyricsl You Can Use Today
Blog Article
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अर्थ- हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
॥ शंकर मेरा प्यारा, शंकर मेरा प्यारा…॥
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं Shiv chaisa किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुख हरहु हमारी॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्यासी आत्मा, बनके योगी, तेरी शरण में आया